
इस्लाम ने मुसलमानों को यह सिखाया है कि तुम पर एक हक़ अल्लाह का है, दूसरा हक़ बन्दों का है। इन दोनों तरह के हक़ अदा करना ही तुम्हारा धर्म है। इस्लाम ने मुसलमानों को यह भी सिखाया है कि सारे इंसान अल्लाह के बंदे हैं और तुम पर सारे बंदों का हक़ है।
कोरोनावायरस की आफ़त से बचाव के लिए जैसे ही लॉक डाउन की घोषणा हुई, दीनदार मुसलमानों को ग़रीबों और दिहाड़ी मजदूरों का ख्याल आया और अल्लाह के बंदों का हक़ अदा करने की चिंता पैदा हुई।
इसलिए हर जगह के मुसलमान इस हक़ को अदा करने के लिए तुरन्त सक्रिय हो गए। सरकार और व्यवसासिक स्वयं सेवी संगठनों के पहुंचने से पहले ही हर मुस्लिम बसती में खाते पीते मुसलमानों ने ग़रीबों को राशन और खाना पहुंचाने के लिए अपनी जेबें खोल दीं।
मुस्लिम समाजसेवी व्यक्ति और संगठनों ने बड़े पैमाने पर राशन वितरण का काम शुरू कर दिया। मुसमलानों की इस समाज सेवा का अंदाज़ा अलीगढ़ में मुस्लिम संगठनों द्वारा किए गए राशन वितरण सेवा को देख कर किया जा सकता है।
अलीगढ़ में मुसमलानों ने अपने सीमित साधनों से 60 हज़ार से ज़्यादा परिवारों को राशन और खाना पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है। इन परिवारों में सभी समुदायों के लोग शामिल हैं।
60 हज़ार परिवार का आंकड़ा तो वह है जो लिखा पढ़ी के हिसाब किताब से निकल कर सामने आया है जबकि अनौपचारिक ढंग से लाभान्वित होने वाले परिवारों की संख्या इससे कहीं अधिक होने का अनुमान है।
समाज सेवियों के छोट बड़े 55 समूहों के पास राशन वितरण का जो रिकॉर्ड है उसके अनुसार अलीगढ़ कोल क्षेत्र की 35 बस्तियों में, सिविल लाइंस क्षेत्र की 30 बस्तियों में और आस पास के 8 गांवों में इन संगठनों ने राशन के पैकेट और रोज़ाना पका हुआ खाना सप्लाई करने का काम किया।
समाज सेवा के इस व्यापक अभियान में निम्न लिखित संगठनों का ख़ास योगदान रहा हैः
खिदमत ग्लोबल चैरिटेबुल ट्रस्ट, यॊगिक समाज, अम्मी का खाना ,डकपौण्ड ए.एम.यू टीचर्स टीम, जमाअत-ए-इस्लामी हिन्दू, दारुल मुख़लिसीन, फैजान-ए-मुस्तफा सोसॉयटी, हमसफ़र एजुकेशनल सोसायटी, परछाईं फाउण्डेशन, इनसावियत फाउण्डेशन, रय्यान मस्जिद की टीम, यूथ फ़ार चेंज संगठन, एसआईओ, अलक़लम फाउण्डेशन, अलख़ैर सोसॉयटी, नसीम दि ब्रीज, , इंसानियत फाउण्डेशन, फलाह-ए-मिल्लत संगठन, एसजीएम इन्टरप्राइजेज और मैनेजमेण्ट, दा विंग्स ऑफ़ डिजायर, मनप्पत फाउंडेशन वग़ैरह।
इसके अलावा शहर मुफ्ती खालिद हमीद, एएमयू स्ट्यूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष सलमान इम्तियाज, आसिम अखतर रूमी, मुहम्मद ख़ुर्रम सिद्दीक़ी, मुफ्ती अब्दुल्लाह, मौलाना फैजुल इस्लाम, डाक्टर शादाब, शारिक कमाल, आगा यूनुस, डाक्टर साकिब, मुस्तफा ग़फूर, मुहम्मद अनीस, रियाज़ अख़तर, परवेज़ शान वगैरह ने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से इस अभियान में सराहनीय सेवाएं अंजाम दी हैं।
लाक डाउन की अवधि बढ़ाने की घोषणा के बाद यह सभी समाज सेवी फिर से धन जुटाने और राशन वितरण के लिए सक्रिय हो गए हैं। अम्मी का खाना अभियान के कोआर्डिनेटर मुफ्ती अब्दुल्लाह ने बताया है कि इन सभी प्रयासों में ग़रीब और ज़रूरत मंद देख कर खिदमत की गयी है, धर्म और समुदाय का भेद इसमें नहीं किया गया है क्योंकि मुसलमानों को अल्लाह के सभी बंदों का ख्याल रखने की शिक्षा दी गयी है।
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